Poem on Pollution in Hindi | प्रदुषण पर कविता।

Poem on pollution in Hindi: प्रदुषण एक तरह की बीमारी है, जिसे हम समझने में देरी करते हैं। लेकिन यह प्रदुषण हमारे पर्यावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर देगा। आधुनिक युग के हर वो कार्य से प्रदुषण होता है जो मानव के हित और जरूरतों के लिए किया जाता है। चाहे वो डेवलपमेंट के लिए किये गए कार्य हो या नए नए टेक्नोलॉजी से बनी घरोई उपकरण से हो।

हमने इस पोस्ट में प्रदुषण पर कविता के जरिये आप सबको पर्यावरण प्रदुषण की विषय पर सोचने और जागरूकता लाने की कोशिस कर रहे हैं।

Poem on Pollution in Hindi | प्रदुषण पर कविता।

Poem on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक बीमारी है,
जिसकी चपेट में आई दुनिया सारी है,
वक्त रहते ना सुधर जाए हम,
तो होनी घंघोर तबाही है।

प्रदूषण एक बीमारी है,
जिसको हुई उसकी जान पर आफत आई है,
अपनी बर्बादी की तरफ देखो,
हमने खुद ही कदम बढ़ाई है।

धीरे-धीरे देखो बेजुबान पेड़ों की कटाई जारी है,
जिन पेड़ों से मिलती है हम सबको सांसे, फूल और फल,
उनको ही अपने स्वार्थ के लिए,
काटने की जरूरत आई है।

प्रदूषण एक बीमारी है,
जिसकी चपेट में आई है दुनिया सारी है।
वक्त रहते ना सुधर जाए हम हु,
तो होने घनघोर तबाही है।

फैलाकर कचरा जहां-तहां,
हम सब ने मिलकर स्वच्छ रहने की,
मन ही मन झूठी कसमें खाई हैं।

करके बर्बाद अपने सुनहरे पर्यावरण को,
हमने स्वच्छ तरीके से जीने की ठानी है।
अपने हाथो से करके बर्बाद पर्यावरण को,
देखो शान कैसे सर उठा कर चलते है।

अरे मानव थोड़ी सी तो शर्म करो,
अपने हित के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान पहुंचाना बंद करो।
अब भी वक्त है सुधर जाओ और मान लो मेरी बात।
यह प्रदूषण है बेहद खतरनाक।

प्रदूषण एक बीमारी है।
जिसकी चपेट में आई दुनिया सारी है।
वक्त रहते ना सुधरा जाए हम,
तो होनी घनघोर तबाही है।

दुनिया में फैल रहा है प्रदूषण,
जिसको लेकर सारी दुनिया है परेशान।
फिर भी पहुंचाते है जानबूझ कर हम,
अपने ही धरती को नुकसान।

कैसे अनजान बनकर रह जाते है अपनी बुरी आदतों से हम,
प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में कभी पिछे नही हटते हम।
हर रोज नए-नए तरीके से,
प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हम।

अपने सुखद जीवन सैली में मशरूफ होकर,
प्रदूषण को रोज बढ़ावा देते हम।
जागो जल्दी कही देर न हो जाए,
प्रदूषण के चपेट में आकर कहीं धीरे धीरे दम ना घूट जाए।

अब भी वक्त है सुधार जाओ संसार में रहने वालों,
एक स्वच्छ संसार का निर्माण मिलकर बनालो बनालो।
बचाना है अपने पर्वरण को प्रदुषण से,
कसम खालो आज दूर रहोगे प्रदुषण फैलाने से।

प्रदूषण एक बीमारी है,
जिसकी चपेट में आई दुनिया सारी है।
वक्त रहते ना सुधरा जाए हम,
तो होनी घनघोर तबाही है।

प्रदुषण पर कविता।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

प्रदूषण से चिंतित है पूरा संसार,
फिर भी हम क्यों करते हैं पर्यावरण के साथ ऐसा ब्यबहार।
युहीं अगर करते रहे हम प्रकृति के साथ खिलवाड़,
प्रकृति का कहर कर सकता है हम पर प्रहार।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

बिना सोचे समझे पर्यावरण को नुक्सान पहुंचते हैं,
इसका परिणाम भी हम सब हीं झेलते हैं।
शहरीकरण के नाम पे जंगलों को कटा जाता है,
इसका खामियाजा भी हम सभी को भुगतना पड़ता है।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

पर्यावरण प्रदुषण पर कविता सुनते हैं,
पर्यावरण प्रदुषण पर भासन भी देते हैं।
खुद ही स्वच्छता नियम का उलंघन करते हैं,
फिर भी प्रदुषण पे दूसरों को समझते हैं।

पर्यावरण प्रदुषण से मच जाती है पूरी दुनिया में हाहाकार,
सच तो यह है की इसके लिए इंसान ही है जिम्मेदार।

वायु प्रदुषण पर कविता

कविता का शीर्षक है “हवाओं में घुलता ज़हर”

हवाओ में घुलता जहर
धीरे-धीरे सांसो में फैलता जहर
इस प्रदूषण भरी पृथ्वी पर।

अब घुटने लगा है दम,
न जाने फिर भी क्यों प्रदूषण फैलाते है हम।
अपनी दो पल की जरूरत के लिए
बेजुबान पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हम।

जो थोड़ी मिलती है शुद्ध हवा,
उसको भी बर्बाद करते हम।
हवाओं में घुलता ज़हर,
धीरे-धीरे सांसों में फैलता जहर।

कभी अत्यधिक पटाखे जलाकर,
तो कभी पेड़ों को काट कर,
कभी पराली जला कर
तो कभी फैक्ट्रियों से हानिकारक गैसों को निकाल कर
तो कभी मोबाइल टावर के रेडिएशन को बढ़ा कर।

नए-नए तरीके से हवाओ को प्रदूषित करते हम,
जीने के लिए जो बची है थोड़ी सांसे
उसको भी बेजान करते हम।

हवाओं में घुलता ज़हर,
धीरे-धीरे सांसों में फैलता जहर।

आसा करते हैं हमारी यह प्रदुषण पर कविता(Poem on pollution in Hindi) आप सबको अच्छा लगा होगा। इस पोस्ट को अपने Social Media पर शेयर जरूर करें, ताकि दूसरों को भी प्रदुषण के खिलाव जागरूकता लाया जा सके।

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