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नदी प्रदूषण पर निबंध
नदी प्रदूषण पर निबंध: नदिया हमारे जीवन में हमेशा से एक अहम भूमिका निभाती रही है और नदियों का जल हमारे जीवन के लिए काफी मायने रखता है। भारत के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है की नदियों का जल की प्रचुर मात्रा भारत में उपलब्ध है। जल का होना भारत के लिए तथा भारत के नागरिकों के लिए बहुत ही सौभाग्य पूर्ण बात है। भारत एक बहुत ही भाग्यशाली देश हैं, जहां हमेशा से नदियों का भंडार रहा है और छोटी से बड़ी नदियां भारत में पाई जाती हैं।
भारत में नदियों का संगम हमेशा से रहा है, जो कि भारत और भारत के नागरिकों के लिए एक वरदान से कम नहीं है। भारत में नदियों की बात करें तो चाहे वह गंगा नदी है या सिंधु नदी या कावेरी नदी या फिर ब्रह्मपुत्र नदी इन सभी नदियों का भारत में होना एक गौरव की बात है।
आज हम इस लेख “नदी प्रदूषण पर निबंध”(Essay on river pollution in hindi) के माध्यम से नदियों के प्रदूषण के बारे में आप सभी को अवगत कराएंगे और बताएंगे कि नदियों का प्रदूषण मानव जाति और प्रकृति पर कितना गहरा असर छोड़ता है। और इससे हमारी आने वाली पीढ़ी को भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

प्रस्तावना
नदिया हमेशा से किसी भी देश के लिए तथा देश के विकाश के लिए एक अहम योगदान निभाती आयो है। पर आज ऐसी विडंबना आई है की, किसी भी देश के लिए नदियों के पानी को स्वच्छ रखना सबसे बड़ी चुनौती है। और जहां बात भारत की आती है, तो हम सब भी इस बात से कहीं ना कहीं अवगत हैं। हमारी वजह से जो नदियों का हाल है, वो काफी निंदनीय है।
मनुष्य ने अपने जरूरत के हिसाब से पहले प्रकृति को नुकसान पहुंचाया और अब नदियों को भी प्रदूषण की चपेट में लेने लगे है, जो कि एक बहुत ही चिंताजनक बात है। प्राचीन काल के समय नदियों के पानी को पीने योग्य तथा सबसे शुद्ध माना जाता था। वही आज नदियों के जल प्रदूषण की वजह से दूषित होने लगा है। दूषित पानी ना सिर्फ हमारी सेहत के लिए हानिकारक है बल्कि जलीय जीव भीं प्रदूषित जल को पीकर अपनी जान गवां रहे है।
नदी में हर रोज बढ़ते प्रदूषण चिंता का विषय है। मानव जाति अपने स्वार्थ के लिए नदियों को भी दूषित करने से पीछे नहीं हटते। आज नदियों के जल को स्वच्छ रखना सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है। जिस गंगा नदी को भारत में सबसे शुद्ध नदी कहा जाता है, वही गंगा नदी आज प्रदूषण की चपेट में है।
प्रकृति की तरफ से मिलने वाली अनेकों चीजों में से नदी एक बहुत ही मूल्यवान चीज है, जो हमारे जीवन के लिए अहम भूमिका निभाती है। हम सभी ये भली भांति जानते है की हम भोजन के बिना तो कई दिनों तक जीवित रह सकते है परंतु जल के बिना जीना संभव नहीं।
जहां गंगा नदी को हमारे देश में सबसे शुद्ध नदी का दर्जा दिया गया है। और गंगा के जल को सबसे पवित्र माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ गंगा नदी प्रदूषण की चपेट में पूरी तरह से आ गई है। और भारत की सबसे प्रदूषित नदी में सबसे ऊपर स्थान पर है।
नदियों का जल हमेशा से ही हमारी मानव जाति के लिए एक वरदान रहा है। और ना सिर्फ मनुष्य के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी नदियों का जल काफी अहम भूमिका निभाता है। जहां एक तरफ नदिया का जल मनुष्य और जानवरों की प्यास बुझाने के लिए काम में आता है। तो वही दूसरी तरफ नदियां में अब प्रदूषण की वजह से नदियों का जल पीने योग्य नहीं रह गया।जो नदियों के प्रदूषण का कारण बनते हैं।
हर तरफ बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को भी नदी में बह जाता है। जिसमें कुछ बहुत ही नुकसान देने वाली रसायनिक पदार्थ भी शामिल होते हैं। जो कि नदियों के जल को दूषित कर देते हैं।
जब नदियों का जल दूषित हो जाता है नदियों के अंदर रहने वाले जीवो को भी काफी परेशानी होती है। प्रदूषित जल के कारण नदियों में रहने वाले जीवों को ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। और ऑक्सीजन की कमी होने के कारण जलीय जीव की लगातार मरने की खबर आती रहती है।
नदियों में अपशिष्ट कूड़े कचरे के कारण जलीय जीव दूषित कचरे को खाकर अपनी जान को जोखिम में डाल देते हैं।
नदी में बढ़ते प्रदूषण हमारे लिए भी चिंता का विषय है जहां एक भारत में नदियों का प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होना वरदान से कम नहीं है। तो वहीं दूसरी ओर नदियों को प्रदूषण करके हम नदियों के पवित्र जल को अपवित्र कर रहे है।
नदी प्रदूषण के कारण
आए दिन नदियों का पानी प्रदूषण के चपेट में आ रहा है, आखिर इस बढ़ते नदी प्रदूषण के जिम्मेदार किसको ठहराया जाए। कहीं ना कहीं निश्चित तौर पर नदी के बढ़ते प्रदूषण के जिम्मेदार हम मनुष्य ही तो हैं।
नदी के प्रदूषण से मतलब यह है कि नदी में कूड़े कचरे का बहाव जो कि नदियों के मीठे पानी को दूषित करता है। और हमारे घरों से निकलने वाले गंदे पानी तथा अन्य प्रकार के कूड़े कचरे को भी नदी में बहा दिया जाता है।
नदी में बढ़ता प्रदूषण के कारण कुछ इस प्रकार से
1- हम आए दिन प्लास्टिक से बनी चीजों का इस्तेमाल करते है, तथा इस्तेमाल किए हुए प्लास्टिक को कचरे के ढेर में फेंक देते हैं। फिर उसी कचरे को नदी मैं बहाया जाता है जो की नदियों में होने वाले प्रदूषण का एक कारण बन जाता है।
2- हमारे घरों से निकलने वाले, अपशिष्ट पदार्थों को भी नदियों में डाला जाता है। गंदी नालियों के पानी को भी नदी में बहाया जाता है, गंदे पानी को नदियों में प्रवाहित करना नदी प्रदूषण को बढ़ावा देता है।
3- बड़े-बड़े उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ और रासायनिक पदार्थों का नदियों में बहाया जाता है। रासायनिक पदार्थों के नदी में बहाने से नदियों की प्राकृतिक क्षमता कम होने लगती है और इससे नदी में रहने वाले जीव को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
4- किसान खेती के दौरान रसायन उर्वरक और अन्य प्रकार के कीटनाशक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं जो बरसात के पानी के साथ बहकर नदी में मिल जाता है। यह कार्य भी नदी के प्रदूषण को बढ़ावा देने में एक अहम भूमिका निभाता हैं।
5- बारिश का पानी जब भी गिरता है तो हवा में मौजूद प्रदूषित कण के साथ गिरता है जो नदी प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।
निष्कर्ष।
नदियों का जल हमारे लिए काफी अहम है, तथा हमें नदियों के जल को जितना हो सके स्वच्छ रखना चाहिए। नदियों के पानी का इस्तेमाल पीने तथा अन्य तरह के कामों के लिए भी करना चाहिए। हमें नदी या किसी भी अन्य जगह को अपने स्वार्थ के लिए प्रदूषित नहीं करना चाहिए। कहीं भी प्रदूषण की स्थिति उत्पन्न होती हैं तो तुरंत उस स्थिति को हमें जल्द से जल्द सुधार करना चाहिए। ताकि हम प्रदूषण को कम कर सकें,और एक स्वच्छ और प्रदूषण रहित समाज का निर्माण कर सकें। नदियों का जल जितना स्वच्छ रहेगा उतना हमारे लिए और हमारी पीढ़ी के लिए तथा अन्य जीव जंतुओं के लिए भी लाभकारी होगा।
FAQ
A-केंद्रीय परिवर्तन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के अनुसार जारी एक रिपोर्ट में भारत की सबसे प्रदूषित नदी गंगा को बताया गया है।
A-तकरीबन 17% नदियों का जल बहुत ही गंभीर रूप से प्रदर्शित है। नदियों का प्रदूषित होना हमारे देश के लिए चिंताजनक बात है।
हमारा यह लेक नदी प्रदूषण पर निबंध(Essay on river pollution in hindi) उम्मीद है आपको पसंद आया होगा। हमे आपने बिचार कमेंट करके जरूर बताएं ताकिन इस निबंध और भी बेहतर बना सकें।