दिल्ली में वायु प्रदूषण | Air pollution in Delhi-Hindi

दिल्ली में वायु प्रदूषण : वायु गुणवत्ता सूचकांक(Air Quality Index) 100 से कम हो तो उसे वायु प्रदुषण ठीक ठाक मान सकते है। लेकिन दिल्ली की हवा में इतनी सुधार हमे सायद हीं कभी दिखने को मिलता होगा, हालाँकि हवा की गुणवत्ता हर समय बदलता रहता है।

आज दिल्ली में वायु प्रदूषण | Air pollution in Delhi today

दिल्ली में वायु प्रदूषण

राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदुषण एक अभिशाप बन चूका है। दिल्ली में बढ़ती आवादी के साथ गाड़ियों की संख्या भी धीरे धीरे बढ़ रहा है और दूसरे शहरों से आनेवाले बड़े वाहनों की संख्या भी बढ़ रहा है। ऊपर से दिल्ली और आस पास के इलाके से पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदुषण से दिल्ली निवासी परेशान रहते हैं। कभी कभी प्रदुषण का स्तर इतना बढ़ जाता है की लोगों का घर से बहार निकलना मुश्किल हो जाता है।

दिल्ली में वायु प्रदुषण एक गंभीर समस्या बनते जा रहा है। दिल्ली सरकार की भी चिंता बढ़ रहा के की आखिर वायु प्रदुषण से दिल्ली को कैसे बचाया जाये। दुनिया का सबसे प्रदूषित राजधानी शहर दिल्ली आज प्रदुषण के चपेट में ऐसे फंस जुका है की इससे बहार निकलना मुश्किल होता जा रहा है।

इस प्रदुषण से बचने के लिए दिल्ली के लोगों को इसका हल खुद ही ढूंढ़ना होगा, अपनी सुरक्षा के लिए खुद हीं प्रदुषण से लड़ना पड़ेगा। दिल्ली सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है प्रदुषण को कम करने की।

दिल्ली की हवा कितनी प्रदूषित है?

भारत की राजधानी में, पार्टिकुलेट मैटर PM2.5 और PM10 अक्सर हवा में रहते हैं, साथ ही अन्य प्रकार के प्रदूषक और जहरीले रसायन भी वातावरण मौजूद रहते हैं। इन सभी प्रदूषकों के कारण मानव स्वास्थ्य के ऊपर हानिकारक प्रभाव होते हैं। अभी के समय में(2021) दिल्ली में रहने वाले लोगों की संख्या 31 मिलियन से भी ज्यादा है जबकि यह आंकड़ा साल 2012 में करीब 19 मिलियन की आस पास थी।

इससे ये पता चलता है की समय के साथ राजधानी दिल्ली में जनसंख्या की बृद्धि हो रही है। अधिक नागरिकों का अर्थ है सड़क पर अधिक कारों के साथ-साथ माल और लोगों के परिवहन के लिए अधिक बसें और ट्रक। इनके द्वारा छोड़ा गया वाहन उत्सर्जन वायु प्रदुषण को दिन प्रति दिन बढ़ा रहा है।

दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक के रूप में यह शब्द तब सच होता है जब आप IQAir वेबसाइट पर 2019 में लिए गए PM2.5 डेटा रीडिंग को देखते हैं। यह पूरे भारत में दूसरे सबसे प्रदूषित शहर के रूप में स्थान पर है, गाजियाबाद के नंबर एक सबसे प्रदूषित शहर के ठीक पीछे आ रहा है, जो संख्या प्रदर्शित करता है जो इसे 110.2 µg/m³ की अत्यधिक उच्च रेटिंग देता है।

दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के मुख्य कारण क्या हैं?

अनेक कारण हैं राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के, प्रत्येक पहलू अपने आप में एक बड़े है। हवा की गुणवत्ता को खराब करने में मुख्य दोषियों में से एक निश्चित रूप से वाहनों का उत्सर्जन है। शहर में इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का मौजूद होना, जिनमें से कई वाहन ऐसे भी हैं जो पुराने इंजन के साथ चल रहें हैं। वे वाहनों से अत्यधिक मात्रा में धुएं निकलते हैं, जो वायु मंडल को और भी प्रदूषित करते हैं।

विभिन्न कारों, बसों और ट्रकों द्वारा डाला गया धुआं और PM2.5, इसे सबसे बड़ा होने के लिए पर्याप्त होगा। दिल्ली में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का कारण वाहनों के साथ राजधानी में कुल प्रदूषण का अनुमानित 41 प्रतिशत है।

मौसम के बदलाव से भी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है। खासकर सर्दियों के मौसम में राजधानी दिल्ली में प्रदुषण गंभीर रूप ले लेती है क्योंकी आसपास के क्षेत्रों में किसान उस समय के फसल के बाद खेतों में बचे हुए पराली को जलाते हैं। इस कारण से वातावरण में धुंध बना रहता है और इसे साफ करने में सहायता के लिए कुछ भी नहीं होता है। जब सर्दियाँ आती हैं तो ये हवाएँ अक्सर कम हो जाती हैं, जिससे दिल्ली के वातावरण में जमा हुआ प्रदूषण कहीं जा नहीं पाता है।

प्रदूषण और धुंध के कई और कारण में से मुख्य औद्योगिक क्षेत्र है, जिसमें बड़ी संख्या में कारखानों और विभिन्न प्रकार के उत्पादन संयंत्र पूरे शहर में बिखरे हुए हैं। दिल्ली में कुल वायु प्रदूषण का अनुमानित 18.6 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्र से आता है, कहीं-कहीं कई सौ से एक हजार टन से अधिक प्रदूषक अकेले कारखानों से वर्ष के दौरान वातावरण में छोड़े जाते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि PM 2.5 की रीडिंग 829.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गई है, जो WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के वार्षिक स्तर से 80 गुना अधिक है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव क्या हैं?

पार्टिकुलेट मैटर 10(PM 10) जैसे प्रदूषक लोगों के श्वसन तंत्र में प्रबेश कर सकते हैं, जिससे आंखों, नाक और गले के साथ-साथ फेफड़ों में जलन और संक्रमण हो सकता है। PM 2.5 प्रकृति में कहीं अधिक घातक है, इसका विशेष रूप से महीन आकार इसे फेफड़ों के गहरे ऊतकों में घुसने की क्षमता देता है, और फिर रक्तप्रवाह में आगे बढ़ता है। यह श्वसन और संचार प्रणाली दोनों के लिए कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।

दिल्ली की हवा के संपर्क में आने पर हृदय संबंधी घटनाएं और विभिन्न हृदय रोग भी संभव हैं, युवा और बुजुर्गों के साथ-साथ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को विशेष जोखिम होता है, हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब हवा में पीएम 2.5 का स्तर होता है। अत्यधिक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले व्यक्ति में असंख्य बीमारियों और स्वास्थ्य स्थितियों में हानिकारक प्रभाव दिख सकता है।

दिल्ली में सबसे प्रदूषित दिन कौन सा दर्ज किया गया है ?

राजधानी दिल्ली में अब तक का सबसे प्रदूषित दिन 6 नवंबर, 2016 को दर्ज किया गया था। वास्तव में इस वर्ष के दौरान प्रदूषण के स्तर के सार्वजनिक रिकॉर्ड जनवरी के महीने से शुरू होने लगे थे। दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने पीएम2.5 एकाग्रता स्तर 933μg/m³ दर्ज किया।

एक ‘खतरनाक’ रेटिंग की गारंटी देने के लिए आवश्यक PM 2.5 रेटिंग 250.4μg/m³ और उससे अधिक होता है। लेकिन 6 नवंबर, 2016 को PM2.5 रेटिंग 933μg/m³ दर्ज की गई थी जिसे हम एक तरह की जहरीली हवा के रूप कह सकते हैं।

दिल्ली अपने प्रदूषण स्तर को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए क्या कर रहा है ?

राजधानी दिल्ली को वायु प्रदुषण के संकट से बचाने के लिए दिल्ली सरकार यथासंभव प्रयास कर रही है। हाली में दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान तैयार किया था जो सर्दियों के मौसम में होनेवाले वायु प्रदुषण को कम करने के लिए था। दिल्ली के मुख्य मंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल जी समय समय पर Odd/Even फार्मूला भी लागु करते रहते हैं जिससे वाहनों से होनेवाले प्रदुषण को कम किया जा सके।

दिल्ली के सरकार किसानों के लिए बायो डिकम्‍पोजर का मुफ्त छिड़काव कर रही है। और दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से कटाई के बाद बचे हुए पराली के प्रबंधन के लिए बायो डिकम्‍पोजर का मुफ्त छिड़काव करने की अपील की। क्यों की पड़ोसी राज्यों के किसान द्वारा पराली जलने से वायु प्रदूषण का असर राजधानी दिल्ली पर होता है।

दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए समय समय पर वायु गुणवत्ता डेटा उपलब्ध कराना और वायु गुणवत्ता डेटा पारदर्शिता में वृद्धि के साथ-साथ लोगों को शिक्षित करने की पहल करना होगा। जिस प्रदूषण से वे सांस ले रहे हैं, उसकी गंभीरता को जानकर, लोग बड़ी संख्या में अपनी और अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए निवारक उपाय कर सकते हैं।

भारतीय अधिकारियों ने पहले ही राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सबसे प्रदूषित शहरों में से 102 में 20-30% तक प्रदूषण में कटौती करना है। National Clean Air Programme(NCAP) के तहत, सरकार औद्योगिक और परिवहन उत्सर्जन में कटौती, धूल प्रदूषण को कम करने की योजना बना रही है। और एयर मॉनिटरिंग सिस्टम को अपग्रेड और बढ़ाने की भी योजना है।

Article Source: iqair.com

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