भूमि प्रदूषण किसे कहते हैं? भूमि प्रदुषण के कारण और दुष्प्रभाव।

भूमि प्रदूषण किसे कहते हैं?

उपजाऊ मिट्टी में होने वाले प्रदूषण को मृदा प्रदूषण या भूमि प्रदूषण कहा जाता हे। भूमि की गुणवत्ता को अप्राकृतिक रूप से बढ़ाना, भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में परिवर्तन मृदा प्रदूषण का कारण बनता हेभूमि प्रदूषण जिसे हम मृदा प्रदूषण भी कहते हैं। मृदा की उपज क्षमता बढ़ने के लिए किसान अत्याधिक कीटनाशक या तो खाद का उपयोग करते हैं। और यह प्राकृतिक नहीं हे जिससे मिट्टी की गुणवत्ता पर असर पड़ता हे ।

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शुद्ध मिट्टी एक प्राकृतिक संसाधन हे जो धरती पर रहने वाले प्राणी और वनस्पतियों के लिए एक वरदान से कम नहीं हे। यह मानव जाती तथा पशुओं और पेड़ पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हे। जैसे जल और वायु हमारी जिंदगी के लिए मूल आवश्यकता हे वैसे ही मिट्टी भी हमारी दैनिक जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। वनस्पति, अनाज और पेड़ पौधों की जननी हे यह भूमि।

पृथ्वी की सतह में मात्र 25 प्रतिशत भाग पर भूमि और 75 प्रतिशत भाग पर पानी है। Food and Agriculture Organization of the United Nations (FAO) के अनुसार वर्तमान में विश्व की भूमि की सतह का लगभग 11 प्रतिशत (1.5 बिलियन हेक्टेयर) (13.4 बिलियन हेक्टेयर) का उपयोग फसल उत्पादन (कृषि योग्य भूमि और स्थायी फसलों के तहत भूमि) में किया जाता है। यह क्षेत्र फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त कुछ हद तक अनुमानित भूमि के एक तिहाई (36 प्रतिशत) से थोड़ा अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।

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प्रदूषण के कारण।

इस अनुच्छेद में, मैं मृदा प्रदूषण के कुछ कारणों पर चर्चा करने जा रहा हूँ। “इसके कई कारण है”

औधोगिकरण और नगरीकरण से निकलने वाले ठोस अवशिष्ट पदार्थ भूमि को प्रदूषित कर रहें है। ठोस पदार्थ में बेकार कचरा जैसे काँच, प्लास्टिक, रबड़, कपडे, कागज, धातुएँ इत्यादि सम्मिलित हैं। कारखानों और घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को खुले जगह पे डाला जाता हे जिसके कारण भी भूमि प्रदूषण होता हे।

कृषि कार्य में अत्यधिक कीटनाशक का उपयोग करना जैसे की Pesticides, Herbicides, Fungicides, Insecticides और Fertilizers अदि भूमि प्रदूषण के कारण हैं। फसलों की अधिक उपज और फसल में पाए जाने वाले कीड़ों को कम करने केलिए यह किसानों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

खनन प्रक्रिया से निकलने वाले मलबे वर्षा ऋतु में पानी के साथ मिलकर मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। मृदा के गुणवत्ता को यह खनिज पदार्थ कम करते हैं। हवा में होने वाले दूषित पदार्थ भी पानी के साथ मिलकर मिट्टी को प्रदूषित करते हैं।

आज कल शहरीकरण इतना बढ़ा हे की बड़े बड़े Buildings का विस्तार और Road की चौड़ीकारण के लिए पेड़ पौधों को काटा जा रहा है। जिससे मृदा के गुणवत्ता पर असर पड़ता है। पेड़ पौधा मिट्टी के प्राकृतिक गुणों की बचत करते हैं।

मृदा प्रदूषण या भूमि प्रदूषण के परिणाम और दुष्प्रभाव।

उपजाऊ मिट्टी का प्रदूषित होना या उसे प्रदूषित करना हमारे लिए एक चिंता का विषय है। इसी कारण से प्रदूषित भूमि से पेड़ पौधों का विकास सही तरह नहीं होता है। फलस्वरूप फसल उपज में कमी अति है, शुद्ध अनाज, फल और सब्जी हमे प्राप्त नहीं होते। भोजन में हम जो भी खाते हैं इस भूमि से मिलता हे।

यदि मिट्टी प्रदूषित होती है तो हमें शुद्ध और ताजा कच्चा खाद्य पदार्थ नहीं मिल सकता है। खाद्य श्रृंखला के साथ प्रदूषित मिट्टी मनुष्यों और अन्य प्रजातियों के शरीर में प्रवेश करती है जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं।

मिट्टी के रासायनिक संरचना को औद्योगिक कचरे से बदल दिया जाता है जो फसलों को दूषित करते हैं। इन औद्योगिक अपशिष्टों में सीसा, पारा, जस्ता, तांबा, कैडमियम, क्रोमियम, आर्सेनिक आदि जैसे जहरीले धातु होते हैं। ये पदार्थ मानव शरीर में कई विकारों का कारण बनते हैं।

मनुष्यों की तरह जानवरों को भी भूमि प्रदूषण का शिकार होना पड़ता है। पेड़ पौधों की कमी के बजह से जीवों को खाना कम मिलता है। प्रदूषित भूमि से निकले ऐसे कुछ पेड़ पौधा जानवरों को बीमार करते हैं। अर्थात सभी जीवन चक्र पर इसका प्रभाव पड़ता है।

मिट्टी में भारी और विषाक्त धातु भोजन चक्र में प्रवेश कर सकती है और विशेष रूप से शिशुओं और बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है।

मृदा प्रदुषण को कम करने के उपाय।

भारत में जैविक खेती का युगों से पालन किया जाता है। खेती की यह प्रणाली मुख्य रूप से किसी भी उर्वरक, कीटनाशक या किसी भी प्रकार के रसायनों के उपयोग के बिना मिट्टी को जीवित रखने पर आधारित है। जैविक खेती पूरी तरह से खाद, जैविक कीट नियंत्रण और हरी खाद पर निर्भर करती है।

जैविक खाद्य बाजार भारत में सबसे तेजी से बढ़ते कारोबार में से एक है। भारत सरकार जैविक खेती National Centre Of Organic Farming(NPFO) योजना पर राष्ट्रीय परियोजना के माध्यम से जैविक खाद्य (Organic Food) उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है।

भूमि के गुणवत्ता को बनाए रखने केलिए किसानों को रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल न करके प्राकृतिक खाद का उपयोग करना होगा। जैसे की गोबर की खाद और Compost का उपयोग। घास फुस, सब्जी और फल के छिलके, पत्तियाँ, बचा-खुचा खाना आदि से कम्पोस्ट (Compost) प्रस्तुत किया जाता है।

मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए जंगल को बचाना पड़ेगा। मिट्टी की उर्वरता और पकड़ को बनाए रखने के लिए पेड़ पौधों का होना अत्यंत आवश्यक है। इसी कारण से जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए।

घर से निकलने वाले कचरे से पुन: उपयोग होने वाले वस्तुओं को अलग करें और किसी दूसरे कार्य में उसका उपयोग करें। जितना हो सके प्लास्टिक वस्तु का इस्तेमाल कम करें।

निष्कर्ष

मानव जीवन और अन्य जीवित प्राणी के लिए मिट्टी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हे। जब जब मिट्टी प्रदूषित होगा हमारे लिए बीमारी का कारण बनता जायेगा। आज के ज़माने में मनुष्यो अपने स्वार्थ के लिए तरह तरह के प्रयोग करते रहते हैं, उदाहरण के तौर पे किसान अपने उपज क्षमता को बढ़ने के लिए कीटनाशक और केमिकल का उपयोग फल, सब्जी के खेती में करते हैं। फलस्वरूप भूमि प्रदुषण होता हे और हमे बीमारी का सामना करना पड़ता है।

इसीतरह हम आरामदायक जीवन जीने के लिए बहुत सारे ऐसे घरेलु उपकरण का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहंचता है। स्वच्छ पर्यावरण में हम सेहतमंद और तंदरुस्त रहेंगे। पर्यावरण में स्वच्छ जल, शुद्ध हवा की तरह मिट्टी को भी साफ रखना उतना ही महत्वपूर्ण है ताकि हम उस मिट्टी में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सकें।

हमे व्यक्तिगत स्तर पर मिट्टी को साफ रखने की प्रयास करना चाहिए। भूमि प्रदुषण को कम करने के लिए हमे हर वो कदम उठाना होगा ताकि प्रदुषण से पृथ्वी पर रहने वाले जीवित प्राणी और पेड़ पौधों को कोई नुकसान ना हो।

FAQ

भूमि प्रदूषण के कारण क्या है?

औधोगिकरण और नगरीकरण से निकलने वाले ठोस अवशिष्ट पदार्थ भूमि प्रदुषण के प्रमुख कारण है। ठोस पदार्थ में बेकार कचरा जैसे काँच, प्लास्टिक, रबड़, कपडे, कागज, धातुएँ इत्यादि सम्मिलित हैं। कारखानों और घरों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को खुले जगह पे डालना, कृषि कार्य में अत्यधिक कीटनाशक का उपयोग करना जैसे की Pesticides, Herbicides, Fungicides, Insecticides और Fertilizers अदि भूमि प्रदूषण कारण हैं।

भूमि प्रदूषण कैसे फैलता है?

आज कल सहरीकरण इतना बढ़ा हे की बड़े बड़े Buildings और Road की चौड़ी कारण के लिए पेड़ पौधों को काटा जा रहा है। जिससे मृदा के गुणबत्ता पर असर पड़ता है। कृषि कार्य में Chemical’s और Fertilizer’s का लगातार इस्तेमाल से भूमि प्रदुषण धीरे धीरे बढ़ रहा है।

भूमि से कौन सा प्रदूषण होता है?

भूमि जो मृदा या मिट्टी के रूप में धरती पर पाया जाता है, मिट्टी के प्राकृतिक गुणवत्ता को कुछ हानिकारक पदाथ नष्ट करते हैं। मिट्टी में होने वाले प्रदूषण से हीं मृदा प्रदूषण या भूमि प्रदूषण होता हे।

मृदा प्रदूषण को कैसे रोके?

प्राकृतिक खाद जैसे की गोबर की खाद, कम्पोस्ट आदि का उपयोग हीं भूमि के गुणबत्ता को बनाए रखने में मदद करेगा।कृषि कार्य में किसानों को रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल कम करना होगा। मिट्टी की उर्वरता और पकड़ को बनाए रखने के लिए पेड़ पौधों का होना अत्यंत आबस्यक है।

मृदा का गठन क्या है?

मिट्टी पृथ्वी की सतह को कवर करने वाली सामग्री की परत है जो चट्टानों के अपक्षय से बनती है। यह मुख्य रूप से खनिज कणों, कार्बनिक पदार्थों, हवा, पानी और जीवित जीवों से बना है।

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