पर्यावरण प्रदूषण – प्रकार और उनके प्रभाव।

प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक सामग्रियों का मिश्रण है। इन हानिकारक सामग्रियों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक प्राकृतिक हो सकते हैं, जैसे ज्वालामुखी राख। उन्हें मानव गतिविधि द्वारा भी बनाया जा सकता है, जैसे कि कारखानों द्वारा उत्पादित कचरा या अपवाह। प्रदूषक वायु, जल और भूमि की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदूषण क्या है यह तो हम सब जानते हैं लेकिन क्या हम इसे कम करने के बारे में सोचते हैं । प्रदूषण इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है तो क्यों हम इसे अनदेखा कर रहें हैं ।

प्रकृति के कारण पृथ्वी पर जीवन है। प्रकृति हमें घेर लेती है और जीवन को संभव बनाती है। इसलिए हम मनुष्यों को प्रकृति को ‘स्वच्छ’ और ‘हरा’ रखना चाहिए। मनुष्य को अपनी गतिविधियों को चलाने से पहले बहुत देर हो चुकी होती है, बल्कि हम सब कुछ खो सकते हैं जो प्रकृति प्रदान करती है।

यह वह सब है जो हम अपने आने वाले वर्षों में देखेंगे अगर हम ‘अब’ नहीं रोकते हैं। यह माना जाता है कि पर्यावरण को टिकाऊ बनाने के लिए समाज के आर्थिक और राजनीतिक संचालन में बदलाव की आवश्यकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम सिर्फ अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते रहें और उद्योगों की स्थापना करें और अपनी सुंदर प्रकृति से बचते रहें।

>भारत के प्रदूषित शहर में गाजियाबाद पहला नंबर पे।

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution in Hindi)

पर्यावरण प्रदुषण (Paryavaran Pradushan) मानव द्वारा किये जाने वाले क्रिया कलाप का भयंकर रूप है। चाहे वो कूड़ा कचरा फेकने से लेके शहरीकरण और औद्योगीकरण से होने वाले प्रदुषण तक। मानव समाज पर्यावरण प्रदुषण से अनजान नहीं है फिर भी तेजी से बढ़ता हुआ प्रदुषण के लिए मनुष्यों को हीं जिम्मेदार ठहराया गया है।

हरा भरा जंगल, नदियां, समुद्रों, झीलों से भरा ये धरती दिन प्रतिदिन प्रदूषित हो रहा है। हवा में धूल मिट्टी के कण, जहरीले गैस का मिश्रण पर्यावरण को पूरी तरह से नष्ट कर रहा है। जीवन के लिए साफ सूत्रा वातावरण का होना अनिवार्य है।

शहरीकरण और Development के नाम पे पेड़ काटे जा रहें हैं, औद्योगीकरण से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ को जल निकाय में डाला जा रहा है। खेती करने के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी तरह से पर्यावरण को नुकसान पहंचाया जा रहा है।

प्रकार (Type of environmental pollution in hindi)

प्रदुषण को कई रूप हैं, पर्यावरण प्रदुषण क्या है ? इसका सही मतलब तब पता चलता है जब इनके अलग अलग दुष्प्रभाव मनुष्यों पर और पृथ्वी में रहने वाले जीव जंतु पर भी पड़ रहा होता है।

वायु प्रदूषण

वाहनों से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाले काला धुआँ वायु मंडल में हवा के साथ मिलकर उसे प्रदूषित कर रहा है। खासकर बड़े शहर में वाहनों का आना जाना हर समय लगा रहता है।

निर्माण कार्य भी प्रतिदिन शहरों में एक आम बात है जिसके कारण धूल मिट्टी के कण हवा में रहते हैं। बड़ी संख्या में कारखानों का बसना शहर बसियों के लिए एक समस्या बना हुआ है जो वायु प्रदुषण के शिकार हो रहें हैं।

जल प्रदूषण

जल प्रदुषण एक गंभीर समस्या है। पृथ्वी पर कई ऐसे जगह हैं जहाँ गर्मी के मौसम में पिने का पानी के लिए लोग तरस जाते हैं। और यहाँ हम जल प्रदुषण को बढ़ाते जा रहें हैं।

ओधोगिक ोवसिष्ठ पदार्थ को जल निकाय में प्रवाहित करना, प्लास्टिक, कूड़ा कचरा को पानी में डालना, पानी में प्रदुषण के स्तर को बढ़ता है।

जल जीवों को इस जल प्रदुषण से बहुत खतरा है। धरती पर मीठे पानी की कमी से हम अपरिचित नहीं है। इसीलिए पानी को स्वच्छ रखना और पानी की बचत करना हमे सीखना होगा।

मिट्टी / भूमि प्रदूषण

भूमि प्रदुषण केवल प्लास्टिक का कूड़ा कचरा मिट्टी के ऊपर के सतह ख़राब करता है। मनुष्यों द्वारा किये गए अत्यधिक प्लास्टिक का उपयोग और उसे इधर उधर फेकना भूमि को प्रदूषित करता है।

किसान खेती के लिए जो कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं, उससे भी भूमि प्रदूषित हो रहा है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदुषण एक तरह की शोर को कहा जाता है, जिस शोर से हमारे कानो को तकलीफ पहंच रहा हो। ध्वनि प्रदुषण के कई स्रोत हैं जैसे की पटाखों से होने वाले तेज ध्वनि, Loud Music System निकलने वाले अत्यधिक ध्वनि, वाहनों से होने वाले शोर अदि।

और भी कई कारण हैं जो ध्वनि प्रदुषण को बढ़ाते हैं। ध्वनि प्रदुषण मानसिक बीमारी के कारण बन सकते हैं इसीलिए हमे सावधानी रखना होगा।

रेडियोधर्मी प्रदूषण

रेडियो एक्टिव पदार्थ विकिरण का उत्सर्जन करते हैं जिसे हम अल्फा कण, बीटा कण और गामा विकिरण के नाम से जानते हैं, इसी उत्सर्जन प्रक्रिया को हीं रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं। गामा विकिरण मानव शरीर को बहुत हानि पहुँचा सकता है।

ऊष्मीय प्रदूषण

ओधोगिकी नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों उच्च तापमान को कम करने के लिए ठन्डे पानी का उपयोग करने के बाद उत्पन्न गर्म पानी को जल निकाय में प्रवाहित करते हैं जिस से जल स्रोत की तापमान में बदलाव आता है । ऊष्मीय प्रदूषण जल जीवों के लिए जानलेवा साबित होता है।

प्लास्टिक प्रदुषण

प्लास्टिक की थैली, बोतल, चॉकलेट रैपर जैसे बहुत ऐसे प्लास्टिक होते हैं जिसे हम एक बार इस्तेमाल करने के बाद उसे कचरे में फ़ेंक देते हैं। इन सब प्लास्टिक को Single Use Plastic कहा जाता है और इसके कारण हीं प्लास्टिक प्रदुषण हो रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यावरण के ऊपर खतरा बढ़ रहा है।

आशा हे की आपको यह Article पर्यावरण प्रदूषण से कुछ सिखने को मिला होगा। यह लेख के लिए आपका सुझाव का इंतिजार रहेगा।

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