ग्लोबल वार्मिंग क्या है, इसके कारण और पृथ्वी पर इसका प्रभाव।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?

ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय ऊष्मीकरण जिसे वैश्विक तापन भी कहते हैं जो पृथ्वी को गर्म करने में और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। नासा(NASA) के अनुसार पूर्व-औद्योगिक काल से, मानव गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस (1.8 डिग्री फ़ारेनहाइट) की वृद्धि हुई है, वर्तमान में प्रति दशक 0.2 डिग्री सेल्सियस (0.36 डिग्री फ़ारेनहाइट) की संख्या बढ़ रही है।

मिथेन, कार्बन डाईऑक्साइड,ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन जैसे ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में बढ़ने के कारण पृथ्वी की औसत तापमान में वृद्धि होती है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है पृथ्वी का तापमान में वृद्धि होना। वायुमंडल पृथ्वी को चारों ओर से घिरा हुआ है।

वायुमंडल ना होता तो पृथ्वी में जीवन संभव नहीं था। वायुमंडल ही है जो पृथ्वी में रहने लायक अनुकूल वातावरण को बनाए रखता है। वायुमंडल की हवा में कई तरह के गैसों का मिश्रण होता है। सूर्य से आने वाले हानिकारक किरणों से पृथ्वी को रक्षा करता है ना वायुमंडल।

2015 के पेरिस समझौते के तहत, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को सीमित करने पर सहमति व्यक्त की है, जो कि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब संभव है। इस स्तर की महत्वाकांक्षा के लिए फैशन उद्योग सहित अर्थव्यवस्था में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी की आवश्यकता होगी, जिसमें कच्चे माल के साथ काम करने की आवश्यकता होती है, जिसमें सबसे कम संभव कार्बन फुटप्रिंट होता है।

पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसे पेरिस में COP 21 पर 196 पार्टियों द्वारा 12 दिसंबर 2015 को अपनाया गया और 4 नवंबर 2016 को लागू हुआ। इसका लक्ष्य प्री-इंडस्ट्रियल लेवल की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 से नीचे, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। जीवाश्म ईंधन को अधिक मात्रा में जलाना वायुमंडल में ग्रीनहाउस कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बढ़ाता है।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओजोन परत को नष्ट कर देते हैं, जो सूर्य से उत्पन्न हानिकारक पराबैंगनी (UV-B) किरणों से पृथ्वी को नुकसान पहुंचाता है। सीएफसी और एचसीएफसी भी वैश्विक जलवायु को बदलते हुए पृथ्वी के वातावरण को गर्म करते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी पर इसका प्रभाव।

पृथ्वी का तापमान बढ़ना पर्यावरण के लिए और पृथ्वी में जीवित प्राणी पेड़ पौधों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जल स्तर मैं वृद्धि हो रहा है। समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होने से छोटे-छोटे आईलैंड के अंदर समा जाते हैं और आईलैंड में रहने वाले लोगों को अपने लिए दूसरा ठिकाना ढूंढना पड़ता है। ग्लोबल वार्मिंग से सूखा पड़ना, बाढ़ जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही है।

हर साल गर्मी बढ़ रहा है, समय पर बारिश नहीं हो रहा है जिसके कारण आम इंसान को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.पृथ्वी का औसत तापमान अभी के समय में १ डिग्री सेल्सियस है लेकिन यह लगातार बढ़ रहा है जो एक चिंता का विषय है।

वैश्विक तापन को रोकने के उपाय पर अगर गौर किया जाये तो ग्लोबल वार्मिंग को रोकना संभव नहीं है, हाँ लेकिन उसे कम जरूर किया जा सकता है। हम कुछ नियमों का शक्ति से पालन कर सकते हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने पृथ्वी को बढ़ते तापमान से बचने में मदत हो सके।

ग्लोबल वार्मिंग को कैसे नियंत्रित करें ?

ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) जैसे गैसों का उत्सर्जन रोकना होगा जो मानव गतिविधियों के कारण ही उतपन्न होता है।

हमे निजी वाहनों का उपयोग कम करते हुए public transport का इस्तेमाल करना होगा जिससे ईंधन की बचत होगी और वाहनों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड गैसों वायु मंडल में फैलने से रोका जा सके। भारत में Delhi सरकार ने वायु प्रदुषण को कम करने के लिए कई बार odd/even formula को लागु किया।

ठीक उसी तरह घोरोइ उपकरण जैसे एयर-कंडीशनिंग, रेफ्रिजरेशन आदि के उपयोग कम से कम करें ताकि इन उपकरणों से ुस्चार्जित होने बाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) जैसे गैसों को नियंत्रण किया जा सके।

ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और पेड़ों की कटाई से जंगल धीरे धीरे ख़त्म हो रहें हैं उन्हें बचाना होगा। जितने ज्यादा पेड़ होंगे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा उतनी ही कम होगी।

कोयला से बिजली उतपन्न करने वाले प्लांट्स को कम करते हुए Govt. को सौर ऊर्जा (Solar Energy) और पवन ऊर्जा (Wind Energy) को बढ़ावा देना होगा। हालाँकि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा उपयोग देश भर में हो रहा है।

ग्रीन हाउस इफेक्ट क्या है ?

ग्रीन हाउस इफेक्ट को समझने के लिए हम पृथ्वी और वायुमंडल को उदाहरण के तौर पर लेंगे। वायुमंडल पृथ्वी के लिए ग्रीन हाउस के जैसा ही काम करता है। वायुमंडल की हवा जो पृथ्वी को चारों ओर से घिरा हुआ है और यह हवा बिल्कुल ग्रीन हाउस के दीवार और छत की तरह ही काम करती है।

सूरज से आने वाले किरणें पृथ्वी मैं गिरने से पहले वायुमंडल से होते हुए गुजरती है। जिनमें से कुछ किरणें है वायुमंडल से टकरा के वापस चली जाती है और कुछ किरणें धरती पर आ जाती है। कुछ किरणों को वायुमंडल में मौजूद गैस अवशोषित कर लेते हैं, जो उस्मा के रूप में वायुमंडल को गर्म करता है। मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन जैसे गैस वायुमंडल में मौजूद होते हैं। इन गैसों को ग्रीन हाउस गैस कहते हैं और इनके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। समय के साथ-साथ पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है।

ग्रीन हाउस इफेक्ट को बढ़ाने में कहीं ना कहीं मानव जाति ही जिम्मेदार है। टेक्नोलॉजी की मदद से औधोगिक गतिविधियों के कारण, अत्याधिक वाहनों का मानव द्वारा इस्तेमाल किए जाने पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।

FAQ

Q-ग्लोबल वार्मिंग कैसे होती है ?

Ans-वायु मंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बोन (CFC) और मीथेन जैसी गैसों सूरज के किरणों को अपने अंदर सोख लेते हैं और वे उसे ऊष्मा में बदल देते हैं, जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। इन गैसों को ग्रीन हाउस गैस भी कहते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं।

Q-ग्लोबल वार्मिंग के क्या कारण है ?

Ans-मानव गतिविधियों के कारण वायु मंडल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।

Q-ग्लोबल वार्मिंग के लिए कौन सी गैस जिम्मेदार है ?

Ans- ग्लोबल वार्मिंग के लिए मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2), मीथेन(CH4) ,नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), ओज़ोन (O3), क्लोरोफ़्लोरो कार्बन (CFCs) आदि गैस जिम्मेदार हैं ।

Q-सबसे अधिक पाई जाने वाली ग्रीन हाउस गैस कौन सी है ?

Ans-कार्बन डाई ऑक्साइड(CO2) .

Q-वैश्विक तापमान वृद्धि क्या है ?

Ans-ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी का तापमान हर साल बढ़ रहा है। पृथ्वी के औसत तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस है जो प्रति दशक 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ रही है। इसी औसत तापमान में वृद्धि को वैश्विक तापमान में वृद्धि या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।

Q-ग्रीन हाउस क्या है?

Ans- ग्रीन हाउस एक ऐसा कांच का घर है जहां तरह-तरह के फल, सब्जी, फूलों को उगाया जाता है। ग्रीन हाउस में एक अनुकूल वातावरण होता है जहां ही ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंडा होता है। ग्रीन हाउस उन पौधों को सुरक्षा देता है जो गर्म और सर्दी को सहन नहीं कर सकते।

Q- ग्रीन हाउस काम कैसे करता है ?

Ans- आधुनिक ग्रीन हाउस के संरचना 19वीं शताब्दी में हो गई थी। हालांकि 17 वी शताब्दी से ही ग्रीन हाउस तकनीक का उपयोग किया जाता था। ग्रीन हाउस की दीवारें और छत कांच के बने हुए होते हैं, इसी कारण से सूरज से आने वाले किरणों को वहां मौजूद पौधों और वस्तुओं के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। उसके बाद वह किरणें उस्मा में परिवर्तित हो जाते हैं। आसान और टेक्निकल शब्दों में कहें तो ग्रीन हाउस लाइट(Light) एनर्जी को हिट(Heat) एनर्जी में बदल देता है।

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