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थर्मल प्रदूषण या उष्मीय प्रदुषण
थर्मल प्रदूषण क्या है ये जान ने से पहले हमे तापमान के बारे मे जानना होगा। तापमान क्या है – तापमान एक भौतिक मात्रा है जो गर्म और ठंडा दोनों प्रकार की प्रकृति को दर्शाता है। यह तापीय ऊर्जा की अभिव्यक्ति है, जो सभी पदार्थों में मौजूद है। वातावरण में तापमान सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।
मानव जाती और अन्य प्राणी को जीवित रहने के लिए एक अनुकूल वातावरण चाहिए। हम पृथ्वी पर रहते हैं क्योंकि पृथ्वी का तापमान हमारे अनुकूल है। हालांकि, विभिन्न देशों में तापमान की मात्रा भिन्न होती है। तापमान हर मौसम में बदलता रहता है और हमें उसी के अनुसार खुद को ढालना पड़ता हैं। लेकिन बहुत सारी मानव निर्मित गतिविधियाँ हैं जो तापमान को बढ़ाने का काम करती हैं।
इस तापमान परिवर्तन से सभी जीव – जन्तु प्रभावित होते हैं। इस परिवर्तन के कारण, पक्षी और जानवर अपना स्थान बदलते रहते हैं। क्योंकि वे बदलते तापमान के साथ जीवित नहीं रह सकते हैं। तापमान जितना बढ़ेगा , लोगों और पर्यावरण पर इसका उतना ही गहरा असर पड़ेगा। इसके कारण पानी की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। यह समस्या बहुत बड़ी है।
थर्मल प्रदूषण या उष्मीय प्रदुषण क्या है ?
थर्मल प्रदूषण को हम उष्मीय प्रदुषण भी कहते हैं , पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण को धीरे-धीरे समाप्त कर रहा है। ओधोगिकी नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों या मानवीय क्रिया कलाप के कारण उच्च तापमान को कम करने के लिए ठन्डे पानी का उपयोग करते हैं । बाद में वहां से उत्पन्न गर्म पानी को जल स्रोतों में बहाया जाता हे। इसी कारण से जल स्रोत का तापमान में बदलाव आता है या उसमे विकार पैदा होने लगता है।
यदि गर्म पानी को सामान्य जल निकायों के साथ मिलाया जाता है तो उस पानी के प्राकृतिक गुण खराब हो जाते हैं। पानी के लिए अवांछनीय गर्मी के अलावा जो इसके तापमान को बढ़ाता है, थर्मल प्रदूषण का कारण बनता है। हर वो गति विधि जो धरती की तापमान में बदलाव लाये उसे हम थर्मल प्रदूषण कहेंगे।
थर्मल प्रदूषण किस कारण से होता है, और स्रोत क्या है ?
ओधोगिकी के कारण -पेट्रोलियम रिफाइनरी , पेपर मील्स , शुगर मील्स ,स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है। और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है।
थर्मल पावर प्लांट – बिजली उत्पादन के लिए Hydro power plant, coal fired power plant आदि बनाये गये हैं। बिजली उत्पन्न करने के लिए बहुत सारे कोयले को जलाया जाता है , पानी को भाप में बदला जाता है जिससे तापमान में वृद्धि होती है। और फिर उस तापमान को कम करने केलिए सामान्य पानी का इस्तेमाल किया जाता है जिससे पानी बहोत ज्यादा गर्म हो जाता है। और ये गर्म पानी को जल स्रोत में छोड़ा जाता है जिसके कारण उष्मीय प्रदुषण होता है।
आज कल बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटा जा रहा है जिससे धरती का तापमान में वृद्धि हो रही है। जंगल में आग लगना भी पर्यावरण की तापमान को बढ़ता है। कुछ प्राकृतिक कारणों से भी तापीय प्रदुषण होता है, जैसे की बिजली कड़कना, ज्वालामुखी का फटना आदि।
प्रदूषण के प्रभाव।
थर्मल प्रदुषण से पानी में oxygen की कमी हो जाती है। जिससे जल में रहने वाले जीवों को काफी नुकसान होता है। मछली और अन्य जल जीवों के विकास प्रगति में कमी आती हे। ऑक्सीजन की कमी उनके लिए जानलेवा है।
उधोगिकी से निकलने वाले गर्म पानी के साथ उसमे कुछ हानिकारक रसायन भी पानी में मिल जाते हैं। जिसका प्रभाव मनुष्यों और पशु पक्षी पर पड़ता है। इस पानी का इस्तेमाल से मनुष्यों को कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी भी हो सकता है।
जल स्रोत में जब ओधोगिकी का गर्म पानी मिलता है तो इसके कारण पानी के गुणवत्ता में कमी आती है और वो पानी उपयोग करने के लायक नहीं रहती।
थर्मल प्रदूषण को रोकने के उपाय।
क्या थर्मल प्रदुषण या उष्मीय प्रदुषण को रोका जा सकता , अगर आपके मन में यह सवाल आता है तो इसका जबाव होगा “हाँ” उष्मीय प्रदुषण या तापीय प्रदुषण को कम करने के लिए हमसब को कुछ उपाय और नियमो का पालन करना होगा।
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण काम हे हमे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना होगा और जंगल की रक्षा करनी होगी, ताकि सूरज की किरणे सीधे धरती पर न गिरे।
दूसरा ओधोगिकी से निकलने वाले गर्म पानी को प्राकृतिक जल निकाय में न डाल के कृत्रिम तालाब में डाला जाये या तो उसे पहले ठंडा किया जाए और उसका पुनः उपयोग किया जाए।
FAQs
A-1) थर्मल प्रदुषण का अर्थ है प्राकृतिक जल स्रोतों के तापमान को अप्राकृतिक रूप से बढ़ाना अथवा जल स्रोत के तापमान में बदलाव करना। ओधोगिकी नाभिकीय ऊर्जा सोयोत्रों के उच्च तापमान को कम करने के लिए ठन्डे पानी का उपयोग करना और उत्पन्न गर्म पानी को जल स्रोतों में प्रवाहित करना थर्मल प्रदुषण को दर्शाता है।
A-2) थर्मल पोल्लुशन को हिंदी में उष्मीय प्रदुषण या तापीय प्रदुषण भी कहा जाता है।
A-3) जल स्रोत में मानव गतिबिधियों से होने वाले बदलते तापमान को हीं तापीय प्रदुषण कहते हैं। तापीय प्रदुषण से पानी में oxygen की कमी हो जाती है। जिससे जल में रहने वाले जीवों को काफी नुकसान होता है। मछली और अन्य जल जीबों के विकास प्रगति में कमी आती हे।
A-4) तापीय प्रदुषण के मुख्य स्रोत हैं ओधोगिकी और थर्मल पावर प्लांट। पेट्रोलियम रेफिनारिएस , पेपर मील्स , शुगर मील्स ,स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी और बिजली उत्पादन के लिए Hydro power plant, coal fired power plant अपने उपकरणों को ठंडा करने के लिए ठंडे पानी का उपयोग करते हैं। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में बृद्धि है और पानी प्रदूषित होता है।
निष्कर्ष
प्रदुषण चाहे किसी भी रूप में हो चाहे जल, वायु, भूमि, ध्वनि, रेडियोधर्मी या थर्मल, पर्यावरण और मानव जाती तथा पशु पक्षी के लिए एक चिंता जनक विषय है। हालाँकि पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयास कर रही है लेकिन हमे भी जागृत होना पड़ेगा। खुशहाल जीवन जीने के लिए और आने वाले पीढ़ी को एक साफ और सुरक्षित परिवेश देने के लिए यथा संभव कार्य करना होगा। थर्मल प्रदुषण के बारेमें और जानकारी के लिए यहाँ search करें।
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