विषय सूची
जल प्रदूषण क्या हे?(What is water pollution in Hindi)
जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। हमे यह जानना बहुत जरुरी है की पृथ्वी का 75% से ज्यादा हिस्सा पानी से भरा है, लेकिन उसमे से सिर्फ 0.5% से 1% पानी ही पिने लायक है। जल प्रदूषित होना पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है। जल प्रदुषण(Water pollution in Hindi) के कारण न केवल मनुष्यों को नुकसान होता है, बल्कि समुद्री जीवन के लिए अवांछनीय समस्याओं के कारण बनता है।
वर्तमान युग में औधोगिकरण के कारण अधिकांश जल निकाय प्रदूषित हैं जो जल प्रदुषण का कारण हे। स्वच्छ पानी हमारे शरीर के बेहतर कामकाज के लिए अत्यधिक आवश्यक है। लेकिन असंख्य प्रदूषक इसे उपयोग के लिए अयोग्य बनाते हैं। जल प्रदूषक कार्बोनिक, अकार्बनिक, जैविक या रेडिओधर्मी हो सकते हैं।
पानी में हानिकारक वस्तुओं का मिश्रण से ही जल प्रदूषित होता है। पृथ्वी की सतह पर जितने नदियों, नाले, समुद्रों, झीलों और तालाब जैसे जल निकाय मौजूद हैं उनमे मानव जाती और जानवरों से जाने अनजाने में हुए गलती से जल प्रदूषित होता है।
>रेडियोधर्मी प्रदुषण क्या है ?
जल प्रदूषण कैसे होता है ?
जल प्रदूषण का अध्ययन दो शीर्षकों के तहत किया जा सकता है :-
* ताजे पानी का प्रदूषण
यह ज्ञात है की पानी में उच्च विघटन क्ष्यमता होती है। पानी की इस संपत्ति के कारण यह आसानी से और जल्दी प्रदूषित होता है। इसके बावजूद कृषि और ओधोगिक विकास के लिए तजा पानी आवश्यक है। इसीलिए इसे ‘स्वच्छ’ रखा जाना चाहिए।
* समुद्री जल का प्रदूषण
आजकल, बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण होने के कारण महासागरों और समुद्रों के तटीय क्षेत्र सबसे अधिक प्रदुषण की चपेट में हैं। उद्योग समुद्री जल निकायों का कचरे के लिए एक सुविधा जनक डंपिंग ग्राउंड के रूप में उपयोग करते हैं जो प्रकृति में विषाक्त हैं। इसके अलावा, महासागरों और समुद्रों को नदियों से प्रत्यक्ष निर्वहन प्राप्त होता है,जो बड़ी मात्रा में विघटित होने के साथ ही प्रदूषित प्रदूषकों को भी ले जाते हैं।
यह साबित करता है कि महासागरों और समुद्रों को कचरे के लिए अंतहीन डस्टबिन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कार्गो ऑयल टैंकरों से फैलता तेल वह कारण है जो समुद्री जीवन और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को बड़े पैमानेपर नष्ट करता है। समुद्री जल निकायों में बड़ी मात्रा में सामग्रियों को उतारा जाता है। इन सामग्री में तेल, भारी धातु, पोषक तत्व, औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज कीचड़ भी होती है।
जल प्रदुषण के स्रोत
शहरी विकास से जल प्रदुषण
बड़े बड़े नगरों की सीवर लाइनों से घरेली कचरा, मल-मूत्र और अन्य जैविक पदार्थ नदियों एवं समुद्र में मिल जाते हैं। यह सरे चीजे जल में मिलकर जल प्रदुषण को बढ़ाते हैं।
समुद्र से जल प्रदुषण
समुद्री प्रदुषण एक बड़ा कारण है तेल के रिसाव का, लेकिन यह एक मात्र कारण नहीं है। यह सिर्फ एक अंश मात्र है समुद्री जल प्रदुषण का। इसके इलावा विभिन्न देशों द्वारा घरेलु कचरा, औद्योगिक कचरा एवं रासायनिक कचरा सुमद्र में दाल दिया जाता है, जिससे समुद्री जल प्रदूषित होता है।
उद्योग से जल प्रदुषण
प्राय: उद्योगों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ नदियों एवं समुद्र में प्रवाहित कर दिए जाते हैं। इन अवशिष्ट पदार्थ में भरी धातुएं एवं विषैली रसायन होते हैं जो इन जल स्रोतों को दूषित करते हैं।
परमाणु सयंत्र से जल प्रदुषण
समुद्र-तट पर जितने भी परमाणु सयंत्र स्थापित होते हैं उनके भट्टियों से निकलने वाले रेडियोधर्मी अवशिष्ट को समुद्र में डाला जाता है। इनके विषैली रसायनों के कारण जल प्रदुषण होता है।
तेल शोधक कारखाने से जल प्रदुषण
तेल शोधक कारखाने प्राय: समुद्र-तट पर स्थापित होते हैं और इनसे तेल का रिसाव समुद्र में जाता है। इन रिसाव के कारण जल प्रदूषित होता है।
जल प्रदूषण के कारण
प्राकृतिक प्रक्रियाओं और मानवीय गतिविधियों से जल निकायों को प्रदूषित किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होती हैं। दूषित पानी की खपत में वृद्धि हुई है। पशु भी जल प्रदूषण से परेशान होने से नहीं बचे हैं। मानव विभिन्न प्रयोजनों के लिए पानी का उपयोग करताहै। इन सभी उद्देश्यों के लिए डिस्चार्ज किए गए पानी मेंघुलनशील और अघुलनशील, कार्बनिक और अकार्बनिक पानी होते हैं।
घरेलू अपशिष्ट जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं :
घरेलू कचरा: अक्सर ये देखा जाता हे की घरेलू कचरे को ग्रामीण और शहरी बस्तियों के कचरे के साथ नगर निगम की नालियों में मिला दिया जाता है। यह अत्यधिक गन्दा पानी नदियों, झीलों और तालाबों में जाता है। यह नदी का पानी उन शहरों तक पहुंचता है जो उपयोग के लिए पूरी तरह से अयोग्य हैं।
साबुन और डिटर्जेंट, मानव उत्सर्जन बड़ी संख्या में रोगजनक होते हैं। मोटे तौर पर अनुमान है कि पानी में लगभग 75% प्रदूषक मुख्य रूप से घरेलू कचरे के कारण हैं।
आमतौर पे गाँवों के लोगों को नदी या तालाब में नहाना पसंद हे क्यूंकि उनके पास ज्यादातर घर पे टॉयलेट और बाथरूम का सुबिधा नहीं होत। इसीलिए वे नदी और तालाब में नहाते हैं और साथ ही साथ आपने पाले हुए जानवरों को भी नेहलाते हैं। पर उनको ये पता ही नहीं होता की उनकी इस गलती से जल प्रदुषण हो रहा है।
औद्योगिक अपशिष्ट जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं :
औद्योगिक कूड़ा: औद्योगिक अपशिष्ट सबसे अधिक हानिकारक होते हैं क्योंकि इनमें जहरीली धातुएं (सीसा, पारा, जस्ता, तांबा, क्रोमियम और कैडमियम) और कई अन्य विषाक्त पदार्थ (आर्सेनिक, एसिड, क्षार, सेल्यूलोज फाइबर, रंग और विरंजन सामग्री, पेट्रोकेमिकल्स, आदि) होते हैं। इन्हें हमेशा जलस्रोतों में उतारा जाता है। औद्योगिक कचरे की उपस्थिति उन सभी उद्देश्यों के लिए अनुपयुक्त है जो हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। जिन उद्योगों में मुख्य रूप से जल निकाय हैं, वे फार्मास्यूटिकल्स, भारी रसायन, लुगदी और कागज, कपड़ा प्रसंस्करण और मुद्रण इकाइयाँ, खाद्य प्रसंस्करण, धातुकर्म इकाइयाँ आदि हैं।
कृषि अपशिष्ट : कृषि सिंचाई के कार्य में फसलों को कीटाणु मुक्त और बेहतर फसल तैयार करने के लिए कीटनाशक तथा खाद का इस्तेमाल किया जाता हे। यही कीटनाशक और खाद पानी के स्रोत के साथ बहकर नदी या नालों में प्रवाहित पानी को प्रदूषित करते हैं। इन अपशिष्टों के कुछ विनाशकारी प्रभाव हैं: – यह श्वसन प्रणाली (respiratory system) के साथ प्रतिक्रिया करता है और श्वसन पथ को अवरुद्ध करके तीव्र घुटन का कारण बनता है।
जल प्रदूषण समाधान
बर्तमान की बढ़ती आबादी और विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों को देखकर, हमें ये तो अंदाजा लग चूका हे की जल प्रदूषण को पूरी तरह के समाप्त नेही किया जा सकता लेकिन हम उसे कम जरूर कर सकते हैं।
घर से निकलने वाले कचरे को पानी में न फेंकें। जलस्रोत में पहले से जमा हानिकारक बस्तुओं को बहार निकलते हुए पानी को साफ और स्यच्छ करना होगा।
जलस्रोतों में होनेवाले प्रदूषणकारी गतिबिधियाँ को रोकना पड़ेगा। नदी या तालाब में नहाना उसमे बर्तन धोना, कूड़ा कचरा पनी में फेकना इत्यादि ; गाओं और बस्तिओं में जगह जगह टॉयलेट और बाथरूम की सुबिधा होना चाहिए।
गाँवों और शहरों के ड्रेन को समय समय पर साफ करने से जल प्रदूषण को कम किया जा सकता हे। आजकल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होनेवाले प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने बस्तुओं का इस्तेमाल कम करना होगा।
पानी का प्रदुषण को रोकने केलिए हमे तालाब एवं कुएँ नियमित साफ-सुथरा रखना होगा।
उतना ही कारखानों को मंजूरी देना चाहिए जिससे पर्यावरण को हानि न पहंचे अथबा कम से कम हानि हो। इसतरह से कुछ नियमो का पालन करके हम जल प्रदूषण को काम कर सकते हैं।
नालियों को समय समय पर साफ करना होगा। नालियाँ साफ नहीं होने से मच्छर होते हैं और बीमारियां फैलते हैं।
FAQ
मानवीय गतिविधियों और औद्योगिक कार्य के कारण जल निकायों (झीलें, नदियाँ, महासागर और भूजल)में होनेवाले प्रदुषण को हीं जल प्रदुषण कहा जाता है।
कारखानों से निकलने बाले जहरीले पदार्थ जल निकायों में प्रवेश करते हैं और पानी में घुलते हैं। फलस्वरूप पानी की गुणवत्ता में कमी आती है और जल प्रदुषण होता है।
THE WATER (PREVENTION AND CONTROL OF POLLUTION) ACT, 1974
1974 में भारत सरकार ने जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक अधिनियम जारी किया। इसअधिनियम में कहा गया है कि,पानी के दूषित होने या पानी के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में परिवर्तन, मल के निर्वहन करना,पानी में किसी अन्य ठोस, तरल या गैसीय पदार्थों प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डम्पिंग की अनुमति नहीं है।
आपको मेरी यह लेख जल प्रदुषण क्या है ? पढ़ने के बाद आपके मन में भी जल प्रदुषण के समस्या और उसका समाधान का विचार आया होगा। और आप को लगता है की मुझे इस लेख (Water Pollution in Hindi ) में कुछ बदलाव या कुछ और जानकारी जोड़ना होगा तो आप हमें comment करें।